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Health tips: प्राणायाम के मुख्य प्रकार और उनके फाड़े हिन्दी मे।
Health Tips / 2023/05/29

प्राणयाम के प्रकार और उनके फायदे ( Pranayam types and benefits)

प्राणायाम एक प्राचीन योग प्रक्रिया है जिसे संजीवनी शक्ति के रूप में जाना जाता है। यह शब्द "प्राण" और "आयाम" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "प्राण की ऊर्जा को नियंत्रित करना"। प्राणायाम में विशेष श्वास की प्रणाली के माध्यम से हम अपने मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य, शक्ति और मानसिक तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है।

प्राणयाम के प्रकार

अनुलोम विलोम प्राणायाम:
यह प्राणायाम श्वास प्रणाली को शुद्ध करने में मदद करता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। इस प्राणायाम को करने के लिए, आपको बैठना है और आँखें बंद करके नाक से साँस छोड़ें। फिर साँस धीरे-धीरे बाहर छोड़ें और वापस साँस लें। इसको 5-10 मिनट तक जारी रखें और ध्यान केंद्रित रखें। यह प्राणायाम शरीर के तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है और मन को शांत करता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे 

उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन): अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से रक्तचाप में सुधार हो सकता है। इस प्राणायाम के द्वारा श्वास प्रणाली को स्थिर और संतुलित रखने से रक्तचाप कम होता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

मानसिक तनाव: अनुलोम विलोम प्राणायाम मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। यह मन को शांत करके तनाव को हटाता है और मानसिक चिंताओं को दूर करने में सहायता प्रदान करता है।

अनिद्रा (इंसोम्निया): अनुलोम विलोम प्राणायाम निद्रा को सुधारने में मदद कर सकता है। यह नियमित अभ्यास से न्यूरोलॉजिकल एंट्री रेट को सुधारता है और संतुलित नींद रक्तसंचार को सुधारने के लिए मददगार साबित हो सकता है। यह प्राणायाम तनाव को कम करके आरामदायक और गहरी नींद प्रदान कर सकता है।

सामान्य श्वासनली के रोग: अनुलोम विलोम प्राणायाम विभिन्न सामान्य श्वासनली के रोगों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। यह सिनसाइटिस, ब्रोंशाइटिस, अस्थमा, या अन्य श्वासनली संबंधी समस्याओं को सुधारने में मदद कर सकता है।

मधुमेह (डायबिटीज): अनुलोम विलोम प्राणायाम मधुमेह के नियंत्रण में मददगार साबित हो सकता है। यह प्राणायाम शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार कर सकता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

कपालभाति प्राणायाम:
यह प्राणायाम पुरी तरह से ध्यान को एकाग्र करता है और श्वास प्रणाली को स्वच्छ और स्वस्थ बनाता है। इसे करने के लिए, आपको बैठना है और गहरी साँस लें। फिर नाक से तेजी से साँस छोड़ें और धीरे-धीरे साँस लें। इसे प्रतिदिन 5-10 मिनट तक करें। यह प्राणायाम श्वसन पथ की सफाई करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
कपालभाति प्राणायाम एक प्रकार का श्वास प्राणायाम है जो प्राणायाम के माध्यम से श्वास प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह एक प्राचीन योगाभ्यास है जिसे हजारों वर्षों से मानव समुदाय में अपनाया जाता रहा है। इसका नाम "कपालभाति" संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "खिलौना बनाना" या "मस्तिष्क की सफाई करना"।
कपालभाति के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन किसी रोग को इसके माध्यम से दूर करने का दावा नहीं किया जा सकता है। निम्नलिखित रोगों को ठीक करने में कपालभाति का सहायता मिल सकता है

कपालभाति प्राणायाम के फायदे 

श्वसन विकार: कपालभाति प्राणायाम से श्वसन तंत्र को मजबूत किया जा सकता है, जो श्वसन सम्बंधी विकारों के इलाज में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, अस्थमा, सांस की तकलीफ (डिस्पनिया), ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्याएं इसमें सुधार के लिए कपालभाति का उपयोग किया जा सकता है।

पाचन तंत्र की समस्याएं: कपालभाति प्राणायाम में वज्रासन कपालभाति प्राणायाम में वज्रासन (Vajrasana) का भी उपयोग किया जा सकता है। वज्रासन में बैठकर कपालभाति प्राणायाम करने से पाचन तंत्र को स्थिरता मिलती है और अग्नि शक्ति बढ़ती है, जिससे भोजन को अच्छी तरह से पचाने में मदद मिलती है।

मस्तिष्क की सफाई: कपालभाति प्राणायाम को मस्तिष्क की सफाई करने के लिए भी जाना जाता है। इसके माध्यम से हम दिल्ली की साफ और शुद्ध हवा खींचकर अपने शरीर में उच्च गुणवत्ता वाली ओक्सीजन पहुंचाते हैं, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और मस्तिष्क स्वास्थ्य सुधारता है।

मानसिक स्थिति: कपालभाति प्राणायाम को नियमित रूप से करने से मानसिक स्थिति में भी सुधार हो सकती है। यह चिंताओं और तनाव को कम करने, मन को शांत करने और मेंटल क्लारिटी को बढ़ाने में मदद करता है।

भ्रामरी प्राणायाम:
यह प्राणायाम ध्यान को ताजगी प्रदान करता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इसे करने के लिए, आपको बैठना है और आंखें बंद करें। फिर अपने उच्च ताल में सूँघने की तरीके से श्वास लें। अपने नाक को बन्द करके अपनी साँस निकालें और मध्यमतः ऊँचाई पर "भ्रामरी" ध्वनि बनाएं। इसे 5-10 बार दोहराएं। यह प्राणायाम मानसिक चंचलता को शांत करने में मदद करता है और मन को स्थिरता प्रदान करता है।
भ्रामरी प्राणायाम एक प्राणायामिक तकनीक है जिसमें हम नीरस शब्दों का उच्चारण करते हैं जो मधुमक्खी (भ्रामर) की गुंजाइश में सदैव रहते हैं। इस प्राणायाम का नाम "भ्रामरी" उस ध्वनि के आधार पर है जो हम श्वासायाम (अंतर्वायु) के दौरान उत्पन्न करते हैं।

भ्रामरी प्राणायाम के फायदे 

तनाव और चिंता का समाधान: भ्रामरी प्राणायाम को करने से निरंतर ध्वनि की उत्पत्ति से शरीर और मन को ताजगी मिलती है। यह तनाव को कम करने, मन को शांत करने और मनोवैज्ञानिक तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है।

मानसिक स्थिति को सुधारना: भ्रामरी प्राणायाम करने से मानसिक स्थिति में सुधार होता है। यह मन की स्थिति को स्थिर करने, मन को नियंत्रित करने और मेंटल क्लारिटी को बढ़ाने में मदद करता है।

नींद की समस्याओं का निवारण: भ्रामरी प्राणायाम को करने से नींद में सुधार हो सकता है और अनिद्रा से राहत मिल सकती है।

रक्तचाप का नियंत्रण: भ्रामरी प्राणायाम को करने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का स्तर नियंत्रित हो सकता है। यह उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को कम करने और नियमित रक्तचाप को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

सिरदर्द और माइग्रेन का उपचार: भ्रामरी प्राणायाम में नीरस ध्वनि का उच्चारण करने से सिरदर्द और माइग्रेन के लक्षणों में कमी हो सकती है।

श्वसन संबंधी समस्याओं का उपचार: भ्रामरी प्राणायाम करने से श्वसन संबंधी समस्याओं में सुधार हो सकता है। इसका उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सांस की तकलीफ (डिस्पनिया), और अन्य श्वसन विकारों के लिए किया जाता है।

साधारण स्वास्थ्य को सुधारना: भ्रामरी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यह प्राणायाम शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है, श्वसन संबंधी प्रशांति प्रदान करता है और मस्तिष्क को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

उज्जायी प्राणायाम:
यह प्राणायाम गले के ध्वनि के माध्यम से किया जाता है और श्वास प्रणाली को स्थिर और शांत बनाता है। इसे करने के लिए, आपको बैठना है और साँस को धीरे-धीरे लेना है। जब आप साँस लेते हैं, तो अपने गले को सकारात्मक दबाव दें और ध्वनि उत्पन्न करें। इसे 5-10 मिनट तक जारी रखें। यह प्राणायाम श्वास प्रणाली को निरंतरता प्रदान करता है और मन को स्थिर और शांत बनाता है।

तनाव कम करना: उज्जायी प्राणायाम करने से तनाव कम हो सकता है और मन की शांति मिल सकती है। यह श्वास से जुड़े नियंत्रण को सुधारता है और अवसाद और चिंता को कम करने में मदद करता है।

श्वसन सामरिकता का सुधार: यह प्राणायाम श्वसन सामरिकता को सुधारता है और श्वसन मार्ग को मजबूत बनाता है। इसका नियमित अभ्यास अस्थमा, श्वसन संबंधी रोगों, और श्वसन प्रश्वास के लिए उपयोगी हो सकता है।

मनोवश्यक्ति और ध्यान: उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करने से मन की वश्यता बढ़ती है और ध्यान का अनुभव होता है। इससे मानसिक स्थिरता, ध्यान क्षमता, और मनोभाव विकसित हो सकते हैं।

शरीरिक संतुलन का सुधार: यह प्राणायाम शरीर के ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने में मदद कर सकता है। यह श्वास की गहराई और स्थिरता को बढ़ाता है और शरीर को सुषम प्राण के द्वारा शक्ति देता है।

शीतली प्राणायाम:
यह प्राणायाम शरीर को शीतल और ताजगी प्रदान करने में मदद करता है। इसे करने के लिए, आपको बैठना है और आपके मुख के लिए अंदर से गहरी साँस लें। फिर अपनी जीभ को हल्के से बाहर निकालें और श्वास छोड़े दें। यह आपके मुख को ठंडा करेगा। इसे 5-10 मिनट तक करें और शांत मन के साथ ध्यान केंद्रित रहें। यह प्राणायाम शरीर को शीतलता और सुखदता का अनुभव कराता है।
प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से आप अपने शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ और संतुलित रख सकते हैं। इन प्राणायामों को सही ढंग से करने के लिए योग गुरु या प्राणायाम निपुण की मार्गदर्शन लेना फायदेमंद होगा।

शीतली प्राणायाम के फायदे 

शीतली प्राणायाम गले की बीमारी को दूर करता है और क्रोध पर नियंत्रण रखने के काम आता है। 
डिप्रेशन और तनाव से राहत दिलाता है। औऱ उससे होने वाली बीमारियों से दूर रखता है। 
रक्त छाप को भी यह प्राणयाम नियंत्रण रखता है। 

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Frequently Asked Questions

प्राणायाम कैसे किया जाता है?
सरल प्राणायाम कैसे करें या सरल प्राणायाम करने की विधि - Pranayam karne ka tarika चुपचाप एक मिनट के लिए बैठें। ... आखें बंद कर लें, दृष्टि को नाक पर केंद्रित करें, पीठ सीधी रखें, और दिमाग़ को शांत करें। एक गहरी साँ
प्राणायाम का क्या अर्थ होता है?
प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है। श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाह
प्राणायाम कितने मिनट में करना चाहिए?
आपको कम से कम 15 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए। प्रतिदिन एक ही स्थान और समय पर इसका अभ्यास करें। आपको अपना दैनिक प्राणायाम खाली पेट करना चाहिए। स्थान विकर्षणों से मुक्त होना चाहिए।
सबसे पहले कौन सा प्राणायाम करना चाहिए?
इसलिए आप शुरू करते हैं: शरीर को गर्म करने के लिए कपालभाति प्राणायाम (स्कल शाइनिंग ब्रीदिंग टेक्निक) , और यह आसान होगा क्योंकि आसन अभ्यास के कारण शरीर पहले से ही गर्म होगा। दुर्गा प्राणायाम (तीन
इसलिए आप शुरू करते हैं: शरीर को गर्म करने के लिए कपालभाति प्राणायाम (स्कल शाइनिंग ब्रीदिंग टेक्निक) , और यह आसान होगा क्योंकि आसन अभ्यास के कारण शरीर पहले से ही गर्म होगा। दुर्गा प्राणायाम (तीन
नाड़ी शोधन, कपालभाति, भस्त्रिका, उज्जयी और भस्त्रिका।

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