Trending
Monday, 2024 December 02
PM मोदी आज नालंदा विश्व विद्यालय के परिसर का आज करेंगे उदघाटन , भारत मे एक बार फिर नालंदा की शिक्षा दी जाएगी
Updates / 2024/06/19

PM मोदी आज नालंदा विश्व विद्यालय के परिसर का आज करेंगे उदघाटन , भारत मे एक बार फिर नालंदा की शिक्षा दी जाएगी

नालंदा विश्वविद्यालय की यह यात्रा भारतीय शिक्षा प्रणाली के उत्कर्ष और पुनरुत्थान की कहानी है, जो सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रेरणास्रोत है।



आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय

आज, नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के राजगीर में स्थित है और यह एक अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान के रूप में कार्यरत है। यह संस्थान न केवल भारत के प्राचीन शिक्षा प्रणाली का प्रतीक है, बल्कि आधुनिक वैश्विक शिक्षा प्रणाली का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की दिशा में अग्रसर है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के नए परिसर का आज उद्घाटन करेंगे. इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूतों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. इसके जरिए पीएम मोदी की कोशिश हमारी प्राचीन विरासत को पुनर्जीवित करने की है. विश्वविद्यालय का नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहरों के करीब ही है. बिहार का नालंदा एक वक्‍त पर दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था और अब 815 सालों के लंबे इंतजार के बाद यह फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है. 



पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सपनों का नालंदा विश्वविद्यालय अब साकार रूप ले रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है. इसका महत्व न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर के रूप में है. 

नालंदा विश्वविद्यालय का स्थापना

कुमारगुप्त प्रथम (415-455 ई.): नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम को दिया जाता है। उन्होंने 5वीं शताब्दी में इसे स्थापित किया। यह विश्व का सबसे पुराना आवासीय विश्वविद्यालय था, जिसमें सैकड़ों शिक्षक और हजारों छात्र निवास करते थे।



नालंदा विश्वविद्यालय अपने स्वर्णिम काल में शिक्षा, साहित्य, ज्योतिष, मनोविज्ञान, कानून, खगोलशास्त्र, विज्ञान, युद्धनीति, इतिहास, गणित, वास्तुकला, भाषाविज्ञान, अर्थशास्त्र, चिकित्सा और अन्य अनेक विषयों का प्रमुख केंद्र बन गया था। यहां आने वाले छात्र और विद्वान केवल भारत से ही नहीं, बल्कि तिब्बत, चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका, और सुदूर देशों से भी आते थे।

पतन

12वीं शताब्दी: नालंदा विश्वविद्यालय का पतन मुख्यतः 1193 में मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी द्वारा विध्वंसित किए जाने के बाद हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय को जला दिया, जिससे अनेक महत्वपूर्ण पांडुलिपियाँ और ग्रंथ नष्ट हो गए। इसके बाद नालंदा का पतन शुरू हो गया और यह शिक्षा का केंद्र धीरे-धीरे मिटता गया।



अन्‍य देशों की भागीदारी

भारत के अलावा इस विश्वविद्यालय में जिन 17 अन्य देशों की भागीदारी है उनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं. विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है. 



विश्वविद्यालय में छह अध्ययन केंद्र हैं जिनमें बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; और सतत विकास और प्रबंधन स्कूल शामिल हैं. 

इस विश्वविद्यालय की भव्यता का अनुमान इससे लगाइए कि इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें 3 लाख से अधिक किताबें थीं।



यहां एक समय में 10 हजार से अधिक छात्र और 2700 से अधिक शिक्षक होते थे। छात्रों का चयन उनकी मेधा के आधार पर होता था और इनके लिए शिक्षा, रहना और खाना निःशुल्क था। इस विश्वविद्यालय में केवल भारत से ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों से भी छात्र आते थे।

Tags- Nalanda University,Nalanda University Bihar,PM Narendra Modi


Frequently Asked Questions

नालंदा विश्वविद्यालय को कब तोड़ा गया?
1199 में नालंदा विश्वविद्यालय में ही आग लगवा दी।
बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन है?
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम को दिया जाता है।
नालंदा विश्वविद्यालय आज कहा है?
आज, नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के राजगीर में स्थित है।
नालंदा विश्वविद्यालय मे कितनी पुस्तके थी?
नालंदा विश्वविद्यालय मे 3 लाख से अधिक पुस्तके थी।
नालंदा विश्वविद्यालय मे कोनसी पढ़ाई होती थी?
नालंदा विश्वविद्यालय अपने स्वर्णिम काल में शिक्षा, साहित्य, ज्योतिष, मनोविज्ञान, कानून, खगोलशास्त्र, विज्ञान, युद्धनीति, इतिहास, गणित, वास्तुकला, भाषाविज्ञान, अर्थशास्त्र, चिकित्सा और अन्य अनेक विषयों का प्रमुख केंद्र बन गया था।

Tranding