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ओंकारेश्वर मंदिर एक ज्योर्तिलिंग, जानिए ओंकारेश्वर मंदिर के पर्यटक स्थल के बारे मे
Updates / 2024/09/16

ओंकारेश्वर मंदिर एक ज्योर्तिलिंग, जानिए ओंकारेश्वर मंदिर के पर्यटक स्थल के बारे मे

16 September 2024, ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख मंदिर है। यह नर्मदा नदी के पावन तट पर बसा हुआ है और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है, विशेषकर श्रावण मास में। ओंकारेश्वर मंदिर का नाम ‘ओंकार’ से उत्पन्न हुआ है, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक है। इस मंदिर में भगवान शिव के ‘ओंकारेश्वर’ स्वरूप की पूजा होती है, जो आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।



ओंकारेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व
ओंकारेश्वर मंदिर को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्थल नर्मदा नदी के किनारे ‘मांधाता’ पर्वत पर स्थित है, जो ओम के आकार में है। यह शिव भक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति और जीवन के कष्टों से मुक्ति का मार्ग है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।



ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास
ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है। यह माना जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव यहां स्वयं प्रकट हुए थे और उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। यह भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने यहां अपने गुरु गोविंद भगवतपाद से शिक्षा प्राप्त की थी। यह स्थान अनादि काल से शिव भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र रहा है।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि
ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने की विशेष विधि है। भक्तजन जल, दूध, बेलपत्र, चंदन, और फलों से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। मंदिर में सुबह और शाम की आरती में सम्मिलित होना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। श्रावण मास के दौरान यहां विशेष पूजा अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिसमें देशभर से भक्त बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा और दर्शन
ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंचना बेहद सरल है। यह मंदिर इंदौर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और खंडवा जिले से मात्र 70 किलोमीटर दूर है। इंदौर हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन यहां के सबसे नजदीकी प्रमुख यातायात केंद्र हैं।
मंदिर के दर्शन के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम होता है, जब भक्तों की भीड़ कम होती है और शांति का अनुभव किया जा सकता है। मंदिर के आस-पास भी कई पवित्र स्थल हैं, जैसे कि ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, सिद्धनाथ मंदिर और नर्मदा तट पर स्थित घाट, जो ओंकारेश्वर यात्रा को और भी खास बनाते हैं।



ओंकारेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
ओंकारेश्वर मंदिर दर्शन के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उत्तम माना जाता है। इस समय मौसम सुहावना रहता है और यात्रियों को यात्रा में कोई कठिनाई नहीं होती। विशेष रूप से महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, जब पूरे मंदिर परिसर में उत्सव का माहौल रहता है।



ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन के लाभ
ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव के ओंकार स्वरूप की पूजा करना जीवन के सभी दुखों और परेशानियों से मुक्ति दिलाता है। इस मंदिर में की गई पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मोक्ष प्राप्ति के लिए भी यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।

अतः, यदि आप भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करना चाहते हैं और जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यहां का आध्यात्मिक अनुभव आपके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करेगा।

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Frequently Asked Questions

ओंकारेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में, नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।
ओंकारेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
ओंकारेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे भगवान शिव के प्रमुख पवित्र स्थलों में से माना जाता है। यहाँ भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर की पूजा विधि क्या है?
ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक, दूध, बेलपत्र और फल चढ़ाकर पूजा करते हैं। विशेष रूप से श्रावण मास में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है?
ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। इसे त्रेतायुग में भगवान राम द्वारा पूजा गया स्थान माना जाता है, और यह स्थान शिव और शक्ति की असीम शक्तियों का प्रतीक है।
ओंकारेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
ओंकारेश्वर मंदिर दर्शन के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उत्तम होता है, जब मौसम सुहावना रहता है।

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