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चौंसठ योगिनी मंदिर के अद्भुत रहस्य, जानकर हो जाओगे हैरान
Updates / 2024/07/04

चौंसठ योगिनी मंदिर के अद्भुत रहस्य, जानकर हो जाओगे हैरान

भारत एक प्राचीन सभ्यता है जिसमें अनेक रहस्यमय और अद्वितीय मंदिरों का समावेश है। इन मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण श्रृंखला चौंसठ योगिनी मंदिरों की है। यह मंदिर श्रृंखला भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित है और अपने अद्वितीय वास्तु और रहस्यमय इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। इस ब्लॉग में, हम चौंसठ योगिनी मंदिरों की स्थिति, वास्तुकला और उनके रहस्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।



चौंसठ योगिनी मंदिरों की स्थिति

भारत में चौंसठ योगिनी मंदिर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड में स्थित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिरों की सूची निम्नलिखित है:


चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश: यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों में से एक है। खजुराहो अपने उत्कृष्ट मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है और यह मंदिर विशेष रूप से चौंसठ योगिनियों को समर्पित है।


चौंसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, जबलपुर, मध्य प्रदेश: नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर अपनी अद्वितीय गोलाकार संरचना के लिए जाना जाता है।

चौंसठ योगिनी मंदिर, हिरापुर, ओडिशा: भुवनेश्वर के पास स्थित यह मंदिर भी गोलाकार है और यहाँ की मूर्तियों की उत्कृष्ट कला अद्भुत है।


चौंसठ योगिनी मंदिर, मितावली, मुरैना, मध्य प्रदेश: यह मंदिर भी गोलाकार है और इसे चौंसठ योगिनी मंदिरों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

प्रमुख चौंसठ योगिनी मंदिरों का वर्णन

1. चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, मध्य प्रदेश
खजुराहो का चौंसठ योगिनी मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसकी संरचना अद्वितीय है। यहाँ चौंसठ योगिनियों की मूर्तियाँ विभिन्न मुद्राओं में स्थापित हैं। यह मंदिर अन्य मंदिरों की तुलना में छोटा है लेकिन इसकी कला और वास्तुकला अद्वितीय है।



2. चौंसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, जबलपुर, मध्य प्रदेश
भेड़ाघाट का चौंसठ योगिनी मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसकी गोलाकार संरचना इसे विशिष्ट बनाती है। यहाँ की मूर्तियाँ अत्यंत प्राचीन हैं और इनमें तांत्रिक साधना के अनेक प्रतीक मिलते हैं। मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है।



3. चौंसठ योगिनी मंदिर, हिरापुर, ओडिशा
हिरापुर का चौंसठ योगिनी मंदिर भुवनेश्वर के पास स्थित है। यह मंदिर भी गोलाकार है और यहाँ की मूर्तियाँ उत्कृष्ट कला का उदाहरण हैं। मंदिर का आंतरिक भाग एकांत और साधना के लिए उपयुक्त है। यहाँ की मूर्तियाँ विशेष रूप से ध्यान और साधना के लिए बनाई गई हैं।



4. चौंसठ योगिनी मंदिर, मितावली, मुरैना, मध्य प्रदेश
मितावली का चौंसठ योगिनी मंदिर भी गोलाकार है और इसे चौंसठ योगिनी मंदिरों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ की मूर्तियाँ अत्यंत प्राचीन हैं और इनकी कला और शिल्पकला अद्वितीय है। मंदिर का वातावरण रहस्यमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।



मुरैना में स्थित यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए दुनियाभर में जाना जाता था। इस रहस्यमयी मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहते थे। यहां पर दुनियाभर से लाखों तांत्रिक तंत्र-मंत्र की विद्या सीखने के लिए आते थे। आईए जानते हैं मरैना में स्थित प्राचीन और रहस्यमयी चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में। 



इस अद्भुत मंदिर का निर्माण करीब 100 फीट की ऊंचाई पर किया गया है और पहाड़ी पर स्थित यह गोलाकार मंदिर किसी उड़न तश्तरी की तरह नजर आता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।  मंदिर के बीच में एक खुले मंडप का निर्माण किया गया है जिसमें एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। बताया जाता है कि यह मंदिर 700 साल पुराना है।



चौसठ योगिनी मंदिर के हर कमरे में शिवलिंग और देवी योगिनी की मूर्ति स्थापित थी जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी रखा गया था। हालांकि कई मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। इसके चलते अब बची मूर्तियों को दिल्ली स्थित संग्राहलय में रख दिया गया है। 101 खंभों वाले इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया हुआ है।



तया जाता है कि ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के आधार पर ही भारतीय संसद को बनवाया था। लेकिन यह बात ना किसी बात में लिखी गई है और ना ही संसद की वेबसाइट पर ऐसी कोई जानकारी दी गई है। भारतीय संसद न सिर्फ इस मंदिर से मिलती है बल्कि इसके अंदर लगे खंबे भी मंदिर के खंभों की तरह ही दिखते हैं। 



स्थानीय लोगों का मानना है कि आज भी यह मंदिर भगवान शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका है। इस मंदिर में किसी को भी रात में रुकने की अनुमित नहीं है। तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर में भगवान शिव की योगिनियों को जागृति करने का कार्य होता था।

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Frequently Asked Questions

चौंसठ योगिनी मंदिर मितावली की खासियत क्या है?
मितावली का चौंसठ योगिनी मंदिर अपनी गोलाकार संरचना, योगिनी मूर्तियों और तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारतीय संसद भवन की संरचना से मिलता-जुलता है और तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण किसने और कब किया था?
चौंसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 9वीं-10वीं शताब्दी में कालचुरी वंश के राजाओं के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर तांत्रिक साधना और योगिनी पूजा के लिए बनाया गया था।
मंदिर की गोलाकार संरचना का क्या महत्व है?
गोलाकार संरचना तांत्रिक साधना में विशेष महत्व रखती है। यह संरचना ऊर्जा के प्रवाह को अधिक प्रभावी बनाती है, जिससे साधना और ध्यान में अधिक लाभ होता है। गोलाकार संरचना का केंद्र साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
चौंसठ योगिनी मंदिर में योगिनी पूजा का क्या महत्व है?
योगिनी पूजा तांत्रिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चौंसठ योगिनी मंदिरों में चौंसठ योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित होती हैं, और उनकी पूजा के दौरान तांत्रिक साधक विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं, जिससे उन्हें अद्वितीय सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
क्या मितावली के चौंसठ योगिनी मंदिर से कोई रहस्यमय कहानियाँ जुड़ी हैं?
हाँ, मितावली के चौंसठ योगिनी मंदिर से कई भूत-प्रेत की कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि रात के समय यहाँ अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं और कुछ ने तो यहां योगिनियों की उपस्थिति का अनुभव भी किया है। ये कहानियाँ मंदिर के रहस्यमय वातावरण को और भी बढ़ा देती हैं।

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