मकर संक्रांति 2025 तारीख / जानिए क्यू मनाई जाती है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति, हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मकर संक्रांति 2025 में यह पर्व 15 जनवरी को पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन को तिल और गुड़ के व्यंजन, पतंगबाजी, और पवित्र नदियों में स्नान के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
मकर संक्रांति को हिंदू धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत का दिन माना जाता है। यह पर्व सूर्य देवता को समर्पित है और यह सर्दियों के अंत और फसल कटाई के मौसम का प्रतीक है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन और वितरण शुभ माना जाता है। यह मिठाइयां शीतकाल में शरीर को गर्म रखने में मदद करती हैं। मकर संक्रांति पर तिल, अन्न, कपड़े, और धन का दान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसे धर्म और पुण्य का प्रतीक माना जाता है। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का आयोजन होता है। इसे उत्सव का प्रतीक माना जाता है। गंगा, यमुना, और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना इस दिन का मुख्य आकर्षण है। इसे आत्मा की शुद्धि के लिए शुभ माना जाता है। आजकल, मकर संक्रांति को आधुनिक तरीकों से भी मनाया जाता है। लोग सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं साझा करते हैं और सामूहिक उत्सवों का आयोजन करते हैं।
मकर संक्रांति को कई नामो से जाना जाता है।
इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व 'तिला संक्रांत' नाम से भी प्रसिद्ध है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं।
क्यू मनाई जाती है मकर संक्रांति
मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होती है यानी उत्तरी गोलार्ध से अपेक्षाकृत दूर होता है, जिसकी वजह से उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं और इस समय सर्दी का मौसम होता है। वहीं मकर संक्रांति से सूर्य का उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरू हो जाता है, इसलिए इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं और ठंड कम होने लगती है।