कुंडली में कुल कितने दोष होते हैं और उनके प्रभाव
कुंडली में दोष ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की अशुभ स्थिति, युति या दृष्टि के कारण उत्पन्न होते हैं। ये दोष व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ, बाधाएँ, और नकारात्मक प्रभाव ला सकते हैं। हालांकि, हर दोष का समाधान भी ज्योतिष में मौजूद है।
कुंडली में प्रमुख दोषों की सूची और उनके प्रभाव
1. कालसर्प दोष
कैसे बनता है: जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं।
प्रभाव: जीवन में बार-बार असफलता, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट।
उपाय: कालसर्प दोष की शांति के लिए नाग पंचमी पर पूजा करें।
2. मांगलिक दोष
कैसे बनता है: जब मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8, या 12वें भाव में होता है।
प्रभाव: वैवाहिक जीवन में समस्या, देरी से विवाह।
उपाय: मंगल ग्रह के उपाय करें जैसे हनुमान चालीसा का पाठ।
3. पितृ दोष
कैसे बनता है: कुंडली के 9वें भाव में अशुभ ग्रहों की स्थिति।
प्रभाव: परिवार में कलह, आर्थिक परेशानियां।
उपाय: पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करें।
4. ग्रहण दोष
कैसे बनता है: जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु होता है।
प्रभाव: मानसिक अवसाद, असफलता।
उपाय: ग्रहण दोष निवारण पूजा।
5. चांडाल दोष
कैसे बनता है: जब गुरु ग्रह के साथ राहु हो।
प्रभाव: शिक्षा और करियर में बाधा।
उपाय: गुरु ग्रह को मजबूत करने के उपाय करें।
6. शनि दोष (साढ़ेसाती और ढैया)
कैसे बनता है: जब शनि ग्रह चंद्रमा से 12वें, 1वें या 2वें भाव में होता है।
प्रभाव: कठिनाइयों का समय, आर्थिक संकट।
उपाय: शनि पूजा और शनि चालीसा का पाठ।
7. कुज दोष
कैसे बनता है: मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति।
प्रभाव: वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव।
उपाय: मंगल ग्रह के मंत्र का जाप।
8. विदेह दोष
कैसे बनता है: जब चंद्रमा कमजोर हो।
प्रभाव: मानसिक तनाव और अस्थिरता।
उपाय: चंद्रमा की शांति के उपाय करें।
दोषों का प्रभाव कम करने के सामान्य उपाय
ग्रह शांति पूजा: कुंडली दोष के लिए विशेष पूजा।
मंत्र जाप: दोष से जुड़े ग्रहों के मंत्रों का जाप करें।
दान और उपाय: ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान।
हनुमान जी की पूजा: कई दोषों को दूर करने में मददगार।
कुंडली में दोष व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, लेकिन सही ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से इन दोषों को कम किया जा सकता है। कुंडली के दोषों को समझकर और समय पर उपाय अपनाकर जीवन को सुखद और सफल बनाया जा सकता है।