Trending
Thursday, 2024 December 12
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा जरूर करे इस कथा का श्रवण, इस कथा का श्रवण करने से उपवास सफल होता है।
Updates / 2024/07/04

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा जरूर करे इस कथा का श्रवण, इस कथा का श्रवण करने से उपवास सफल होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और रात भर जागरण करते हैं। जन्माष्टमी की व्रत कथा का विशेष महत्व है, जो भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके दिव्य अवतार की याद दिलाती है।



व्रत कथा

बहुत समय पहले, मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र कंस ने अपने पाप कर्मों से धरती पर आतंक मचा रखा था। कंस की बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को आकाशवाणी हुई कि देवकी के आठवें पुत्र के हाथों कंस का वध होगा। यह सुनकर कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके सभी नवजात शिशुओं को मार दिया।


जब देवकी ने अपने आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब कारागार के द्वार अपने आप खुल गए और सभी पहरेदार सो गए। वासुदेव ने नवजात कृष्ण को एक टोकरी में रखा और यमुना नदी पार कर उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को नंद बाबा और यशोदा माँ के पास छोड़ दिया और उनकी नवजात पुत्री को ले आए। कंस ने जब इस बच्ची को मारने का प्रयास किया, तो वह देवी योगमाया के रूप में प्रकट होकर आकाश में विलीन हो गईं और कंस को चेतावनी दी कि उसका संहारक गोकुल में सुरक्षित है।


भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल में बाल लीलाएँ करते हुए कंस के कई दानवों का वध किया और अंततः मथुरा जाकर कंस का वध किया। इस प्रकार उन्होंने धरती को पापियों से मुक्त किया और धर्म की स्थापना की।


व्रत की विधि

जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय (अर्धरात्रि) उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जन्माष्टमी का व्रत उपवास और भक्तिमय साधना का दिन होता है, जिससे भक्त भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं।



कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं और उनके उपदेशों को याद करने का अवसर प्रदान करता है, जो हमें सत्य, धर्म और प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

Tags- Krishna Janmashtami, Krishna Janmashtami vrat, Krishna Janmashtami vrat katha, Krishna Janmashtami vrat vidhi, Krishna Janmashtami vrat vidhi 2023, Krishna Janmashtami vrat vidhi in hindi, Krishna Janmashtami vrat katha in hindi, Krishna Janmashtami 2023 vrat katha, Krishna Janmashtami vrat kahani, Krishna Janmashtami vrat story, Krishna Janmashtami vrat katha 2023, Krishna Janmashtami vrat vidhi, Krishna Janmashtami vrat puja, Krishna Janmashtami vrat katha book, Krishna Janmashtami vrat 2023, अध्यात्म News


Frequently Asked Questions

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में पड़ती है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्व क्या है?
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को समर्पित है। यह व्रत श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
जन्माष्टमी व्रत कैसे रखा जाता है?
जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, दिन भर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं।
जन्माष्टमी की व्रत कथा क्या है?
जन्माष्टमी की व्रत कथा में कंस के अत्याचार, देवकी और वासुदेव की कारागार में कैद, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और उनकी बाल लीलाओं का वर्णन होता है। अंत में, श्रीकृष्ण द्वारा कंस का वध कर धरती को पापियों से मुक्त करने की कथा सुनाई जाती है।
जन्माष्टमी पर किन विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है?
जन्माष्टमी पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, झांकी सजाना, भजन-कीर्तन, रास लीला, मटकी फोड़ प्रतियोगिता और जागरण का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में भक्तगण बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

Tranding