किसी रत्न को धारण करने से नकारात्मकता और डर उत्पन्न हो तो क्या करें?
रत्नों का इस्तेमाल ज्योतिषीय उपचार के रूप में किया जाता है, लेकिन अगर यह आपकी कुंडली के अनुकूल न हो, तो यह फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। अगर आप रत्न धारण करने के बाद डर या नकारात्मकता महसूस कर रहे हैं, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए इस समस्या के समाधान और उसके कारणों पर विस्तार से चर्चा करें।
रत्न से नकारात्मकता और डर उत्पन्न होने के कारण
गलत रत्न का चयन: हर रत्न हर व्यक्ति के लिए अनुकूल नहीं होता। इसे कुंडली और ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही पहनना चाहिए।
शुद्धिकरण की कमी: रत्न को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण और मंत्रोच्चारण जरूरी होता है।
सही धातु का उपयोग न होना: रत्न को किस धातु में जड़वाना है, यह भी महत्वपूर्ण है।
गलत समय पर धारण करना: ज्योतिषीय समय (मुहूर्त) के अनुसार रत्न धारण करना जरूरी है।
नकारात्मकता और डर दूर करने के उपाय
ज्योतिषी की सलाह लें
किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराएं। वे आपको सही रत्न और इसे धारण करने का सही तरीका बताएंगे।
रत्न का शुद्धिकरण करें
रत्न को धारण करने से पहले उसे गंगाजल में रखें और ओम मंत्र का जाप करें। यह उसकी ऊर्जा को शुद्ध करता है।
धार्मिक अनुष्ठान करें
किसी पंडित से पूजा करवाकर रत्न को धारण करें। यह उसके नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकता है।
गलत रत्न को हटा दें
अगर रत्न धारण करने के बाद नकारात्मकता महसूस हो रही है, तो उसे तुरंत हटा दें।
सुरक्षात्मक उपाय करें
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
- पीले वस्त्र धारण करें।
- सावधानियां
- कभी भी बिना ज्योतिषीय सलाह के रत्न धारण न करें।
- सस्ती और नकली रत्नों से बचें।
- रत्न को नियमित रूप से साफ करें।
रत्न धारण करना एक गंभीर निर्णय है और इसे ज्योतिषीय विधि से ही किया जाना चाहिए। अगर किसी रत्न से नकारात्मकता या डर उत्पन्न हो रहा है, तो तुरंत उपाय करें और ज्योतिषीय सलाह लें। सही रत्न और सही विधि से धारण किया गया रत्न आपके जीवन में सुख और शांति ला सकता है।