जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य - भूल कर भी नही करे यह गलती, जाने जगन्नाथ पूरी के 22 सीढ़ियों के नाम और महत्व
मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर लोग पाप मुक्त होने लगे थे. ये देखकर यमराज भगवान जगन्नाथ के पास पहुंचे और कहा, भगवन आपने पाप मुक्ति का ये बहुत ही सरल उपाय बता दिया है. लोग आपके दर्शन कर बड़ी ही आसानी से पाप मुक्त होने लगे और कोई भी यमलोक नहीं आता है. यमराज जी की ये बात सुनकर भगवान जगन्नाथ ने कहा कि, आप मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें जो 'यम शिला' के रूप से जाना जाएगा. जो कोई भी मेरे दर्शन के बाद उस शिला पर पैर रखेगा उसके सारे पुण्य क्षीर्ण हो जाएंगे और उन्हें यमलोक जाना पड़ेगा.
22 सीढ़ियों में से तीसरी सीढ़ी का अलग रहस्य है कहते है मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना होता इस पर पैर रखा तो आपको बैकुंड धाम के दर्शन नहीं बल्कि यमलोक के दर्शन करने के लिए मिलेंगे। जी हां इस सीढ़ी को यम शिला कहते है। यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर न रखने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने तीसरी सीढ़ी यमराज को देते हुए कहा था कि जब भी कोई भक्त दर्शन से लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखेगा, तो उसके सभी पुण्य खत्म हो जाएंगे और वह बैकुंठ की बजाय यमलोक जाएगा।
जगन्नाथ पूरी मंदिर की 22 सीढ़ी के नाम और महत्व
शंकराचार्य सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को शंकराचार्य के आदेशों का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।
अनन्त सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को भगवान की अनंतता और उनके गुणों का गुणगान करने का मार्ग दिखाया जाता है।
कामदेव सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को उनकी इच्छाओं की पूर्ति में सहायता मिलती है।
मुक्ति सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन मिलता है।
कालिन्दी सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को उनके पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
बुद्धि सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
शक्ति सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को अपनी शक्तियों का समर्थन मिलता है।
मोहिनी सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को माया और मोह से मुक्ति मिलती है।
गणपति सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को सफलता और विघ्न नाशक गुण प्राप्त होते हैं।
धन्वंतरि सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को आरोग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है।
कालजय सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को समय और मृत्यु का पराभव होता है।
कालरात्रि सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को अंधकार से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
सरस्वती सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को विद्या, शिक्षा और कला की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को संपत्ति, समृद्धि और स्थिरता की प्राप्ति होती है।
गौरी सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को सौंदर्य, प्रेम और सम्मान का अनुभव होता है।
गणगा सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को धर्म, नैतिकता और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है।
वरुण सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को जल और वायु तत्वों का सम्मान और संरक्षण मिलता है।
भगवती सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को देवी शक्ति की कृपा और संरक्षण प्राप्त होता है।
वायु सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को वायु और आकाश तत्वों का सम्मान और संरक्षण मिलता है।
यम सीढ़ी: इस सीढ़ी पर पैर रखते ही सारे पुण्य समाप्त हो जाते है और मनुष्य बैकुंठ की जगह यमलोक चला जाता है।
वारुणी सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को अंधकार से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
निवृत्ति सीढ़ी: इस सीढ़ी पर भक्तों को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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