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Saturday, 2025 February 08
गोवा का इतिहास: धर्म परिवर्तन और हाथ काटरो खंभ की कहानी
Updates / 2024/12/25

धर्म परिवर्तन के लिए ईसाइयो ने हिन्दुओ पर किया था अत्याचार, हाथ काटरों आज भी है इसका प्रमाण।

गोवा भारत के सबसे छोटे लेकिन महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। अपनी सुंदरता, स्वच्छ समुद्र तटों, और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध यह राज्य एक समय भयावह इतिहास का गवाह रहा है। जहां आज गोवा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है, वहीं इसके अतीत में हिंदुओं के साथ हुए अन्याय और अत्याचार की कहानी भी छुपी हुई है।

गोवा का सांस्कृतिक महत्व और इसाई मिशनरियों का प्रभाव

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित गोवा का पुराना हिस्सा, जिसे वेल्हा गोवा कहा जाता है, पुर्तगाली शासन के दौरान कई चर्चों और मठों का केंद्र बन गया। 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान यहां सेंट कैथेड्रल, बेसिलिका ऑफ बोम जीसस, सेंट फ्रांसिस असीसी चर्च और चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोजरी जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल बनाए गए। इन स्मारकों को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई। हालांकि, इन संरचनाओं के पीछे छुपा इतिहास हिंदुओं के दमन और धर्म परिवर्तन का साक्षी है।


धर्म परिवर्तन और अत्याचार का काला अध्याय

पुर्तगाली शासन के दौरान हिंदुओं को बलपूर्वक ईसाई बनाने का प्रयास किया गया। 1541 में हिंदू मंदिरों को बंद करने और मूर्ति पूजा पर रोक लगाने के आदेश दिए गए। 1559 तक लगभग 350 से अधिक मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद, धर्म परिवर्तन के लिए हिंदुओं पर अमानवीय अत्याचार किए गए। जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए, उन्हें यातनाएं दी गईं, उनके अंग काटे गए, और कई बार उन्हें जिंदा जला दिया गया।

सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर, जिसे आज भी ईसाई समुदाय में पूजनीय माना जाता है, ने हिंदुओं को "अशुद्ध" और "धोखेबाज" कहकर उनकी आस्थाओं का अपमान किया। उसने रोम के राजा को लिखे पत्र में हिंदुओं की मूर्तियों को काले और डरावने रूप में वर्णित किया। इसके बाद हिंदुओं पर अत्याचार और बढ़ गए।

हाथ काटरो खंभ का इतिहास

ओल्ड गोवा में स्थित एक काले बेसाल्ट पत्थर का स्तंभ, जिसे 'हाथ काटरो खंभ' या 'न्याय का स्तंभ' कहा जाता है, हिंदुओं पर हुए अत्याचार का मूक गवाह है। यह स्तंभ, जिसे कभी दंड के लिए इस्तेमाल किया जाता था, आज भी राजमार्ग के एक चौराहे पर खड़ा है। यह स्तंभ कदंब राजवंश के शासनकाल से संबंधित हो सकता है और इसे पुर्तगालियों ने हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया था।


हिंदू धरोहरों की उपेक्षा

हाथ काटरो खंभ आज भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) या अन्य किसी सरकारी संस्था के संरक्षण में नहीं है। हिंदू संगठनों ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की है, लेकिन अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस स्तंभ पर कन्नड़ भाषा में शिलालेख मौजूद हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।

इतिहास से सबक लेने की आवश्यकता

गोवा के इतिहास का यह अध्याय हमें याद दिलाता है कि धर्म और आस्था को बलपूर्वक बदला नहीं जा सकता। आज भी, हमारी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि हम अपने इतिहास से सीख लें और अपनी धरोहरों को संरक्षित करें।

गोवा की भूमि केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके इतिहास के काले अध्यायों के लिए भी जानी जाती है। हाथ काटरो खंभ जैसे स्मारक हमें हमारे अतीत की सच्चाई बताते हैं और हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि सांस्कृतिक धरोहरों को बचाना क्यों आवश्यक है। आज हमें एकजुट होकर अपने इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।


Frequently Asked Questions

गोवा में पुर्तगाली शासन के दौरान क्या हुआ?
पुर्तगाली शासन के दौरान हिंदुओं पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया और उनके मंदिरों को नष्ट किया गया।
हाथ काटरो खंभ का क्या महत्व है?
हाथ काटरो खंभ एक ऐतिहासिक स्तंभ है जो हिंदुओं पर हुए अत्याचारों का मूक गवाह है।
गोवा में कौन-कौन से चर्च प्रसिद्ध हैं?
सेंट कैथेड्रल, बेसिलिका ऑफ बोम जीसस, और सेंट फ्रांसिस असीसी चर्च गोवा के प्रसिद्ध चर्चों में शामिल हैं।
क्या हाथ काटरो खंभ संरक्षित स्मारक है?
नहीं, यह अभी तक संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया गया है।
गोवा के इतिहास से हमें क्या सीख मिलती है?
गोवा का इतिहास सिखाता है कि धर्म और आस्था को बलपूर्वक बदला नहीं जा सकता और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण आवश्यक है।

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