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Monday, 2024 December 02
गणपती जी की पौराणिक कथा, सारे व्रत मे पढ़नी है बहुत जरूरी
Updates / 2024/07/09

गणपती जी की पौराणिक कथा, सारे व्रत मे पढ़नी है बहुत जरूरी

गणेश जी की कहानी सभी प्रकार के व्रत में सुनी जाती है। कोई भी व्रत करने पर उस व्रत की कहानी के अलावा, गणेश जी की कहानी भी कही और सुनी जाती है। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है। किसी भी व्रत की कथा शुरू करने से पहले गणेश जी की कहानी सुनना बहुत जरूरी है। 



गणेश जी की कहानी 

एक बार गणेश जी एक लड़के का वेष धरकर नगर में घूमने निकले। उन्होंने अपने साथ में चुटकी भर चावल और चुल्लू भर दूध ले लिया। नगर में घूमते हुए जो मिलता , उसे खीर बनाने का आग्रह कर रहे थे। बोलते – “माई खीर बना दे ” लोग सुनकर हँसते।


बहुत समय तक घुमते रहे , मगर कोई भी खीर बनाने को  तैयार नहीं हुआ। किसी ने ये भी समझाया की इतने से सामान से खीर नहीं बन सकती, पर गणेश जी को तो खीर बनवानी ही थी।

अंत में एक गरीब बूढ़ी अम्मा ने उन्हें कहा – बेटा चल मेरे साथ में तुझे खीर बनाकर खिलाऊंगी। गणेश जी उसके साथ चले गए।

बूढ़ी अम्मा ने उनसे चावल और दूध लेकर एक बर्तन में उबलने चढ़ा दिए। दूध में ऐसा उफान आया  कि बर्तन छोटा पड़ने लगा। बूढ़ी अम्मा को बहुत आश्चर्य हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा था। अम्मा ने घर का सबसे बड़ा बर्तन रखा। वो भी पूरा भर गया। खीर बढ़ती जा रही थी।उसकी खुशबू भी चारों तरफ फैल रही थी।


खीर की मीठी मीठी खुशबू के कारणअम्मा की बहु के मुँह में पानी आ गया, उसकी खीर खाने की तीव्र इच्छा होने लगी। उसने एक कटोरी में खीर निकली और दरवाजे के पीछे बैठ कर बोली –

” ले गणेश तू भी खा , मै भी खाऊं “

और खीर खा ली। बूढ़ी अम्मा ने बाहर बैठे गणेश जी को आवाज लगाई। बेटा तेरी खीर तैयार है। आकर खा ले। गणेशजी बोले अम्मा तेरी बहु ने भोग लगा दिया , मेरा पेट तो भर गया। खीर तू गांव वालों को खिला दे।


बूढ़ी अम्मा ने गांव वालो को निमंत्रण देने गई। सब हंस रहे थे। अम्मा के पास तो खुद के खाने के लिए तो कुछ है नहीं । पता नहीं , गांव को कैसे खिलाएगी? पर फिर भी सब आये।



बूढ़ी अम्मा ने सबको पेट भर खीर खिलाई। ऐसी स्वादिष्ट खीर उन्होंने आज तक नहीं खाई थी। सभी ने तृप्त होकर खीर खाई लेकिन फिर भी खीर ख़त्म नहीं हुई। भंडार भरा ही रहा।

हे गणेश जी महाराज !, जैसे खीर का भगोना भरा रहा; वैसे ही हमारे घर का भंडार भी सदा भरे रखना।

गणेश जी महाराज की…… जय 

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Frequently Asked Questions

गणपति जी की व्रत कथा पढ़ने का महत्व क्या है?
गणपति जी की व्रत कथा पढ़ने का महत्व है कि यह भक्तों को समृद्धि, ज्ञान, और संकटों से मुक्ति प्रदान करती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
गणपति जी की व्रत कथा कब पढ़ी जाती है?
गणपति जी की व्रत कथा को विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, गणेश उत्सव, और संकट चतुर्थी के अवसर पर पढ़ा जाता है। इसके अलावा, किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में या किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए भी इसे पढ़ा जा सकता है।
गणपति जी की व्रत कथा किसने लिखी है?
गणपति जी की व्रत कथा प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, जिनमें मुख्य रूप से स्कंद पुराण, गणेश पुराण, और मुद्गल पुराण शामिल हैं। यह कथा सदियों से श्रुति और स्मृति के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है।
गणपति जी की व्रत कथा पढ़ने का सही समय क्या है?
गणपति जी की व्रत कथा को सूर्योदय के बाद और गणेश जी की पूजा के समय पढ़ना शुभ माना जाता है। यदि आप विशेष व्रत या उत्सव के दिन पढ़ रहे हैं, तो पूजा के बाद कथा सुनने या पढ़ने का अधिक महत्व होता है।
गणपति जी की व्रत कथा पढ़ने के लाभ क्या हैं?
गणपति जी की व्रत कथा पढ़ने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, और विवेक की प्राप्ति होती है। यह बाधाओं को दूर करने, स्वास्थ्य, समृद्धि, और सफलता पाने में सहायक होती है। इसके अलावा, यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करती है।

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