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Akshaya Tritiya 2024: तारीख, मुर्हुत, समय
Updates / 2024/05/08

Akshaya Tritiya 2024: तारीख, मुर्हुत, समय

अक्षय तृतीया: अक्षय तृतीया के पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना है। इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। यह पर्व हिंदू और जैन दोनों ही धर्म के भक्तों के लिए विशेष होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया तिथि पर ही त्रेता और सतयुग का आरंभ भी हुआ था, इसलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। साल 2024 अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी। यह दिन विभिन्न शुभ कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। संस्कृत में 'अक्षय' शब्द का अर्थ शाश्वत होता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन कोई भी व्रत, गरीबों को दान और प्रार्थनाएं शुभ फल प्रदान करेंगी। 

Akshaya Tritiya 2024: 

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्व होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह तिथि बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण मानी गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ होता है, जिसका कभी क्षय न हो या फिर जिसका कभी नाश न हो। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है, यानी इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य और मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ पर्व पर किया जाने वाले दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जाप-तप और शुभ कर्म करने पर मिलने वाला फलों में कमी नहीं होती है। इस दिन सोने के गहने खरीदने और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया का पावन त्योहार 10 मई को है, ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व के महत्व और तिथि के बारे में सबकुछ।

अक्षय तृतीया तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त  2024

इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व शुक्रवार, 10 मई को मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगी। वहीं इस तृतीया तिथि का समापन 11 मई 2024 को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर होगी। उदया तिथि के आधार पर 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया त्योहार पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। 

अक्षय तृतीय 2024 चौघड़िया मुहूर्त

  • चर (सामान्य) - प्रातः 05:33 - प्रातः 07:14
  • लाभ (उन्नति) - प्रातः 07:14 - प्रातः 08:56
  • अमत (सर्वोत्तम) - प्रातः 08:56 - प्रातः 10:37
  • शुभ (उत्तम) - दोपहर 12:18 - दोपहर 01:59

गृह प्रवेश पूजा विधि

  1. सुबह स्नान के बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। 
  2. गृह प्रवेश के दिन शुभ मुहूर्त में घर को फूलों, तोरण से सजाएं।  मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।  दोनों ओर जल भरे कलश पर दीपक जलाकर रखें। 
  3. घर के ईशान कोण में पूजा करें। पूजा की चौकी पर अनाज से नवग्रह बनाएं। फिर वहां कलश स्थापित करें। 
  4. गृह प्रवेश के समय सबसे पहले चौखट की पूजा करें। 
  5. चौखट पूजन के बाद दिक्पाल, क्षेत्रपाल और ग्राम देवता की पूजा करें। 
  6. इसके उपरांत पति-पत्नी साथ मिलकर मुख्य द्वार से गृह प्रवेश करें, इसके लिए दायां पैर आगे रखें। 
  7. गृह प्रवेश वाले दिन रसोईघर की पूजा करें, चूल्हे पर दूध उबालें और फिर खीर बनाएं। इसके बाद सत्यनारायण की कथा करें। 
  8. घर में हवन और नवग्रह शांति अवश्य करवाएं। 

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया के पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना है। इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। यह पर्व हिंदू और जैन दोनों ही धर्म के भक्तों के लिए विशेष होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया तिथि पर ही त्रेता और सतयुग का आरंभ भी हुआ था, इसलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। अक्षय तृतीया तिथि की अधिष्ठात्री देवी पार्वती हैं। इस पर्व पर स्नान, दान, जप, यज्ञ, स्वाध्याय और तर्पण आदि जो भी कर्म किए जाते हैं वे सब अक्षय हो जाते हैं। यह तिथि सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी गई है। शुभ कार्यों को संपन्न करने के लिए अक्षय तृतीया की तिथि बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन नई योजना को शुरू करने, नए व्यवसाय, नौकरी, नए घर में प्रवेश करने और शुभ खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। 

शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण. घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य,पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता।

अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में भी इस तिथि का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब अक्षय तृतीया का पर्व आता है तब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में रहते हैं, साथ ही इस तिथि पर चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद होते हैं। माना जाता है इस दौरान सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सबसे ज्यादा चमकीले यानी सबसे ज्यादा प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इस तरह से अक्षय तृतीया पर ज्यादा से ज्यादा प्रकाश पृथ्वी की सतह पर मौजूद रहता है। इस कारण से इस अवधि को सबसे शुभ समय माना जाता है।  

अक्षय तृतीया पर्व से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य

1- अक्षय तृतीया तिथि पर भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी की जयंती भी मनाई जाती है। भगवान परशुराम को चिरंजीवी माना गया है इस कारण से इस चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। 
2- अक्षय तृतीया पर ही सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था।
3- भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण अक्षय तृतीया तिथि पर ही हुआ था।
4- इस तिथि पर ही ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव हुआ था।
5- अक्षय तृतीया के दिन ही वेद व्यास और श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रंथ के लेखन का प्रारंभ किया गया था।
6- अक्षय तृतीया के पर्व के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ।
7- धार्मिक मान्यताओं  के अनुसार अक्षय तृतीया की तिथि पर ही मां गंगा का पृथ्वी में आगमन हुआ था।
8- इस तिथि पर ही हर वर्ष श्री बद्रीनाथ के कपाट खोले जाते हैं ।
9-  अक्षय तृतीया तिथि पर ही वृन्दावन के श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष में केवल एक बार श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।
10- अक्षय तृतीया तिथि से ही उड़ीसा के प्रसिद्धि पुरी रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है।

अक्षय तृतीया व्रत और संपूर्ण पूजा विधि

हिंदू धर्म में सभी तिथियों में अक्षय तृतीया का विशेष तिथि माना गया है। अक्षय तृतीया सर्व सिद्धि मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व होता है। अपने और परिवार की सुख- समृद्धि के लिए व्रत रखने का महत्व होता है।| अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करके  श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। फिर इसके बाद श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती और चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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Frequently Asked Questions

क्या अक्षय तृतीया 2024 शादी के लिए अच्छा है?
Akshaya Tritiya 2024 Vivah Muhurat ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अक्षय तृतीया का दिन विवाह या मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस साल 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। लेकिन करीब 23 साल बाद ऐसा संयोग बन रह
अक्षय तृतीया के दिन किसकी पूजा होती है?
अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। साथ ही गणेश भगवान और कुबेर जी की पूजा करना शुभ होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया कब है?
इस योग में की गई पूजा, दान और व्रत से अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होगा। Akshaya Tritiya 2024 Time वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाया जाता है। पंडित गौतम पाण्डेय के अनुसार, इस साल 10 मई को अक्षय तृत
अक्षय तृतीया क्यों मनाते है?
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया क
अक्षय तृतीया पर घर पर पूजा कैसे करें?
पूजा के दौरान भगवान विष्णु को चंदन, फूल, अगरबत्ती और तुलसी और देवी लक्ष्मी को कमल चढ़ाएं। घर पर दूध, चावल या दाल जैसी सामग्री से भोग (नैवेद्य) तैयार करें और इसे देवताओं को अर्पित करें। घर में परि

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